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सोमवार, 5 अगस्त 2019

आस्था डेंटल केयर एवं बेस्ट फील्डिंग स्पोर्ट द्वारा विश्व स्तनपान सप्ताह अभियान का आयोजन किया गया।#Public Statement


(पब्लिक स्टेटमेंट न्यूज़ से मोहम्मद जुनैद की रिपोर्ट)05/08/19 कानपुर के मंदाकिनी रायाले साकेत नगर में आस्था डेंटल केयर एवं बेस्ट फील्डिंग स्पोर्ट द्वारा विश्व स्तनपान सप्ताह के अंतर्गत दिनांक 4 अगस्त 2019 को मातृ एवं परिवार जागरूकता अभियान Breastfeeding empowering Pareats आयोजित किया गया।जहां पर कानपुर एवं उत्तर प्रदेश किं स्तनपान विशेषज्ञ डॉ0आस्था अग्रवाल है।

 जिन्होंने बताया की उत्तर प्रदेश में पहले 6 माह में नवजात शिशू की मृत्यु कि दर सबसे ज्यादा है इसका मुख्य कारण 6 महीने की उम्र से पहले शिशू को पानी या अन्य भोजन या अन्य सामग्री नही देना होता है 6 महीने तक शिशू को केवल मां का ही दूध संपूर्ण आहार के रूप में देना चाहिए हर मां को अपने ऊपर यह विश्वास होना चाहिए कि उसका दूध शिशू के शारीरिक एवं मानसिक विकास के लिए संपूर्ण है शिशु को मां का दूध पैदा होने के 2 घंटे के भीतर ही मिल जाना चाहिए।इससे शिशू में सभी रोगों से लड़ने की शक्ति आती है और यही दूध अमृत समान होता है यही नहीं मां का दूध शिशु में कैंसर एवं शरीर की ला इलाज बीमारियों से बचाता है आजकल जो माता पिता IVF Surrogacy इलाज कराते हैं एवं गोद लेते हैं उन शिशु को भी दूध पिला सकती है इसलिए सभी मांओं को 6 महीने तक शिशु को स्तनपान अवश्य कराना चाहिए।यहीं हमारे समाज के लिए हितकारी है। 

वही समाज सेविका दिव्या देसवाल दिल्ली में पिछले 20 सालों से परिवार एवं माओ को सशक्त बनाने में लगी है वह शिशु को जन्म से पहले एवं तुरंत बाद माओ को सही जानकारी देने की क्लासेज देती हैं।वह Hypno brithing  एवं अंडर वाटर बर्थ भी कराती हैं उनका कहना है कि स्तनपान शिशू से मां के संबंध और जन्म यह सब अलग अलग प्रक्रिया ना होकर एक ही प्रक्रिया है जब शिशु का इस संसार में आगमन एक अच्छा अनुभव ना होकर दुखमय और दर्दनीय होता है तो वह उसके हाव भाव एवं मां का दूध पीने की क्षमता में भी झलकता है इसलिए आज समाज एवं चिकित्सकों को यह समझने की जरूरत है की मां के प्रसव के समय उसकी संपूर्ण सहायता करें एवं प्रसव को एक सुखद और प्राकृतिक एहसास बनाएं। 


वही उपस्थित बाल शिशू पोषण विशेषज्ञ विक्रांत अवस्थी(BSC,MBA,CFN,JCNSC,) बाल शिशु पोषण के एकमात्र सलाहकार है उन्होंने बताया कि शिशु को जन्म के तुरंत बाद क्या देना चाहिए क्या नहीं इसकी बहुत समाज में भांतिया फैली  है यही नहीं उन्होंने बताया कि स्तनपान कराने वाली माताओं का  आहार संतुलित होना कितना आवश्यक है मां के दूध में मिलने वाली एंजाइम्स और हार्मोन बच्चे की पाचन शक्ति को सुचारू रूप से सक्रिय होने में सहायता देते हैं एवं नवजात शिशुओं में होने वाली खनिज पदार्थों की कमी के लिए रामबान है मां के दूध में जो वसा होता हैं। वह बच्चों को अधिक बुद्धिमान बनाता हैं।और हमारे समाज मे इस बात की जागरूकता फैलाना आवश्यक है कि वह संपूर्ण आहार मुक्त है स्वच्छ है संक्रमण रहित है सबसे स्वच्छ है आर्थिक रूप से लाभदायीं है और प्रकृति में मां का मानव जाति में वरदान है।इसलिए समाज की तमाम भ्रान्तियों को मिटाने एवं समाज मे इस संदेश को पहुंचाने के लिए इसका संचालन डॉ0 आस्था अग्रवाल,विक्रांत अवस्थी,दिव्या देसवाल ने किया।और वहाँ डॉ0 गुंजन पाठक मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रही।

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