कानपुर:- स्वरूप नगर में 96.62 करोड़ के पुराने नोट रखने के आरोपियों को देखते ही वकीलों ने हंगामा खड़ा कर दिया। कोर्ट से रिमांड पर ले जाते वक्त वकीलों ने घेर लिया और चेहरे पर स्याही पोत दी। आरोपियों को देशद्रोही बताते हुए पिटाई भी कर दी। बार एसोसिएशन महामंत्री की मदद से पुलिस ने आरोपियों को सीएमएम कोर्ट से बाहर निकाला। कोर्ट ने दस आरोपियों को 26 घंटे की पुलिस रिमांड दी है। रिमांड की अवधि मंगलवार शाम 5 बजे खत्म होगी।
मुकदमे के विवेचक क्षेत्राधिकारी कर्नलगंज राजेश पांडेय ने पुरानी करेंसी बरामद होने के मामले में 16 आरोपियों में से 10 को रिमांड पर लेने की अर्जी शनिवार को कोर्ट में दाखिल की थी। रिमांड पर सुनवाई के लिए सीएमएम शबिस्ता आकिल की कोर्ट में दोपहर करीब 12:30 बजे आरोपी आनंद खत्री, संजय कुमार, अनिल यादव, संजय कुमार सिंह, संजीव अग्रवाल, मनीष अग्रवाल, कुटेश्वर राव, अली हुसैन, संतोष कुमार यादव और मोहित ढिंगरा को पेश किया गया। दोपहर करीब तीन बजे सीएमएम कोर्ट ने पुलिस की अर्जी स्वीकार करते हुए 10 आरोपियों को मंगलवार शाम पांच बजे तक की 26 घंटे की रिमांड पर भेजने का आदेश दिया।
कोर्ट में सुनवाई पूरी होने के बाद सीओ कर्नलगंज सभी आरोपियों को लेकर बाहर निकले तभी अधिवक्ताओं ने आरोपियों को घेर लिया और देशद्रोही बताते हुए चेहरे पर स्याही पोत दी। सभी आरोपियों को कोर्ट के बाहर पीटते हुए फांसी की सजा देने की मांग की। कोर्ट के बाहर काफी हो-हल्ला मचने पर पुलिस ने अधिवक्ताओं से बचाते हुए आरोपियों को कोर्ट के अंदर ही छिपा लिया। तत्काल भारी पुलिस फोर्स कचहरी बुलाई गई। सीओ कर्नलगंज ने फोन पर एसएसपी को सूचना दी। उधर, जानकारी होने पर बार एसोसिएशन महामंत्री भानु प्रताप सिंह मौके पर पहुंचकर स्थिति संभाली। उन्होंने अधिवक्ताओं को किनारे कर आरोपियों को बाहर निकाला। पुलिस पीछे के रास्ते से सभी आरोपियों को रिमांड पर ले गई।
मोबाइल लॉक खुलवाने के लिए रिमांड जरूरी
बचाव पक्ष के अधिवक्ता शरद कुमार बिरला, रामप्रवेश सिंह और अजय निगम ने बताया कि रिमांड अर्जी में विवेचक ने कोर्ट को बताया कि 10 आरोपियों से बरामद मोबाइल के लॉक नहीं खुल रहे हैं। मोबाइल के लॉक खुलवाने, पूरे देश में फैले पुरानी करंसी बदलने के नेटवर्क को तलाशने और अन्य जानकारी के लिए रिमांड जरूरी है। इसलिए कोर्ट ने सभी आरोपियों को सशर्त रिमांड दी है।
सुप्रीम कोर्ट की रूलिंग पर दी गई रिमांड
बचाव पक्ष के अधिवक्ता राम प्रवेश सिंह ने बताया कि पुलिस रिमांड का विरोध करते हुए 1978 सुप्रीम कोर्ट की नंदनी शतपथी बनाम दानी पीएल व अन्य की रूलिंग पेश की गई। इसमें पुलिस किसी भी आरोपी को जबरन बुलवाने के लिए बाध्य नहीं कर सकती है। अगर वह चाहे तो शांत रह सकता है। कोर्ट ने रिमांड पर ले जाते वक्त और जेल में भेजते वक्त दोनों बार आरोपियों का मेडिकल कराने और रिमांड के दौरान एक अधिवक्ता के मौजूद रहने की शर्त पर रिमांड दी है।
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