कानपुर:- जीएसटी कमिश्नर संसारचंद का सिंडीकेट बेहद नियोजित था। घूस का पैसा वह अपने पास नहीं रखता था, बल्कि हवाला के जरिए दिल्ली से भेजता था। वहां हवाला कारोबारी रकम को न सिर्फ व्हाइट मनी में तब्दील करने के लिए तिकड़म भिड़ाते थे, बल्कि संसारचंद की पत्नी को भी पैसा पहुंचाने का काम करते थे।
कलंक कथा: कमिश्नर दिल्ली के घर में भिजवाते थे घूस का सामान, रिश्तेदारों में भी बांटते थे
1986 बैच के भारतीय राजस्व सेवा के अधिकारी संसारचंद पर योजनाबद्ध रूप से रिश्वत लेने का आरोप है। उसने घूसखोरों का बकायदा सिंडीकेट बना रखा था जिसमें उसकी पत्नी अविनाश कौर सहित विभाग के सुपरिटेंडेंट स्तर के तीन अधिकारी व एक ऑफिस स्टाफ शामिल है। इनके अलावा कई अन्य अधिकारी भी निशाने पर हैं जो घूसखोरी में लिप्त हैं।
सीबीआई की जांच में खुलासा हुआ है कि संसारचंद और उसके सहयोगी अधिकारी अपनी घूस की कमाई को हवाला के जरिए दिल्ली ट्रांसफर करते थे। इस काम में दिल्ली के हवाला कारोबारी अमन जैन, चंद्रप्रकाश उर्फ मोनू लिप्त थे। ये दोनों कारोबारी कानपुर से ट्रांसफर हवाला की रकम को दिल्ली स्थित संसारचंद की पत्नी अविनाश कौर को सौंपते थे।
हर सुपरिटेंडेंट को दिया गया था टारगेट
कन्नौज का उद्योगपति और सपा एमएलसी पुष्पराज उर्फ पम्पी जैन, सुपरिटेंडेंट अमन शाह के जरिए संसारचंद को कैश घूस देता था, जबकि रिमझिम इस्पात से घूस लेने का जिम्मा सुपरिटेंडेंट अजय श्रीवास्तव को दिया गया था। सुपरिटेंडेंट आरएस चंदेल घूस के नेटवर्क में दोनों की मदद करते थे। चौतरफा आने वाली घूस की कमाई को हवाला कारोबारी अमन जैन व चंद्रप्रकाश के जरिए दिल्ली पहुंचा दिया जाता था। हवाला कारोबारी इस रकम को ठिकाने लगाते थे और उसका मैनेजमेंट करते थे। संसारचंद की पत्नी अविनाश कौर की मांग पर काली कमाई उसके घर भी यही दोनों पहुंचाते थे।
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