रेलवे का हाल ,अनवरगंज बेहाल
प्रधानमंत्री जी एवं मुख्यमंत्री जी के Green City Clean City को दुर्दशा का आईना दिखाता अनवरगंज स्टेशन
*कानपुर:-*कहते हैं *First Impresson इस last impresson*
किसी जगह के प्रवेश द्वार को देखकर उस जगह के विकास और महत्व का अंदाजा लगाया जा सकता है
*अब आता हूं अपनी बात पर.....*
कहने को कानपुर सेंट्रल के बाद सबसे करीब का स्टेशन अनवरगंज,है । पर विकास और सुंदरीकरण के मामले में सबसे पीछे है । प्रवेश द्वार पर रोड खुदी हुई ,जिस पर दिन भर यात्री चल कर चुटहिल होते हैं। *दो-दो पार्क* हैं ,पर किसी वीरान जंगल की तरह, एक पार्क में किसी का कब्जा है तो दूसरे में कूड़ाघर,जिसमे कुत्ते और सुअर धमा चौकड़ी करते है ।
सड़क के किनारे की दीवारें किसी सार्वजनिक मूत्रालय का आभास कराती हैं,जहाँ कोई भी ..... विसर्जन करता दिख जायगा चाहे कोई भी महिलाएं अपनी आँखें झुका कर निकल जाए पर लोगो पर फ़र्क़ नही पड़ेगा ।
क्षेत्र वासीयो से जानकारी हुई कि कई वर्ष पहले जब अनवरगंज के आमान परिवर्तन पर पूर्व रेलमंत्री लालू प्रसाद जी आय थे तब पूरे परिसर को सुंदर और दर्शनीय बनाया गया था उसके बाद से आज तक स्टेशन अपने विकास की बाट जोह रहा है कि शायद रेलप्रशासन या क्षेत्रीय सभासद की नजरें इनायत हो जायँ ....
ये सरकार का कैसा स्वच्छ भारत अभियान है एक ओर तो सबका साथ सबका विकास की बात करती है दूसरी ओर ऐसे छोटे स्टेशनों के साथ भेदभाव का रवैया अपनाया जा रहा है। जबकि काफी संख्या में यहां भी यात्री दिनभर विचरन करता है
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