कानपुर संवाददाता विशाल तिवारी। ब्राह्मण जागरूकता समिति के तत्वावधान में एक और महत्वपूर्ण बैठक सम्पन्न हुई। बैठक में समिति के पदाधिकारियों एवं सदस्यों ने कई महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा की और परशुराम जन्मोत्सव मनाने पर अपने विचार रखे। इस दौरान समिति के अध्यक्ष अभय दुबे ने दिन पर दिन वृक्षों की कम होती संख्या पर दुख जताते हुए, परशुराम जन्मोत्सव पर वृक्षारोपण करने की बात कही। अभय दुबे ने भगवान परशुराम के जीवन पर चर्चा करते हुए बताया कि परशुराम त्रेतायुग (रामायण काल) के एक मुनि थे। उन्हें भगवान विष्णु का छठा अवतार भी कहा जाता है। पौरोणिक वृत्तान्तों के अनुसार उनका जन्म भृगुश्रेष्ठ महर्षि जमदग्नि द्वारा सम्पन्न पुत्रेष्टि यज्ञ से प्रसन्न देवराज इंद्र के वरदान स्वरूप पत्नी रेणुका के गर्भ से वैशाख शुक्ल तृतीया को हुआ था। वे भगवान विष्णु के आवेशावतार थे। पितामह भृगु द्वारा सम्पन्न नामकरण संस्कार के अनन्तर राम, जमदग्नि का पुत्र होने के कारण जामदग्न्य और शिवजी द्वारा प्रदत्त परशु धारण किये रहने के कारण वे परशुराम कहलाये। आरम्भिक शिक्षा महर्षि विश्वामित्र एवं ऋचीक के आश्रम में प्राप्त होने के साथ ही महर्षि ऋचीक से सारंग नामक दिव्य वैष्णव धनुष और ब्रह्मर्षि कश्यप से विधिवत अविनाशी वैष्णव मन्त्र प्राप्त हुआ। तदनन्तर कैलाश गिरिश्रृंग पर स्थित भगवान शंकर के आश्रम में विद्या प्राप्त कर विशिष्ट दिव्यास्त्र विद्युदभि नामक परशु प्राप्त किया। शिवजी से उन्हें श्रीकृष्ण का त्रैलोक्य विजय कवच, स्तवराज स्तोत्र एवं मन्त्र कल्पतरु भी प्राप्त हुए। चक्रतीर्थ में किये कठिन तप से प्रसन्न हो भगवान विष्णु ने उन्हें त्रेता में रामावतार होने पर तेजोहरण के उपरान्त कल्पान्त पर्यन्त तपस्यारत भूलोक पर रहने का वर दिया। भगवान परशुराम के जीवन की कहानी सुनकर समिति के सभी लोगों ने तालियाँ बजाकर समिति के अध्यक्ष अभय दुबे को धन्यवाद दिया। बैठक के दौरान मुख्य रूप से अध्यक्ष अभय दुबे, शैलेन्द्र दुबे, विपिन मिश्रा, नवनीत शुक्ला, तिलक राज पाठक, कृष्णा बिहारी पाठक, सूर्य प्रकाश अवस्थी, अनिल दुबे, राकेश अग्निहोत्री, हरिओम त्रिवेदी, उपमा दुबे व अन्य लोग मौजूद रहे।
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