रिपोर्ट:-दिग्विजय सिंह अमित कश्यप के साथ मोहित पांडेय
कानपुर:-
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वैसे तो सरकार ने रेलवे स्टेशनों में अच्छे खाने पीने को लेकर कई योजनायें बनाई है । पर जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां करती है स्टेशन मानो अधिकारी नहीं वेंडर चलाते हो इतनी धांधली मची है की यात्रियों को ऊंचे दामों में सबसे घटिया फल खिलाये जा रहे है और ये सब रेलवे अधिकारियों की मिलीभगत से हो रहा है । स्टेशन के आसपास बने खण्डरो में आपको ऐसे खीरे छीलते वेंडर मिल जायेंगे ये वो खीरे है जिनमें लोगों को जिंदगी तो नहीं हाँ मौत देने वाला विटामिन जरूर मिल जायेगा। खीरों की गुडवत्ता का अंदाजा आप इसी से लगा सकते है के खीरे का रंग ऊपर से लाल होता है और वो कई दिन पुराने होते है। पर खीरे बेचने वाले वेंडर ऐसा कौन सा केमिकल इस्तेमाल करते है की खीरे का कलर हरा हो जाता।
हमने आपने पिछले कई दिनों में विभिन्न अखबारों में प्रकाशित समाचारों के माध्यम से ये पढ़ा होगा की ट्रेन में यात्रा के दौरान कई यात्री काल के गाल में समा गये कहीं ये मौतें ऐसे दूषित फलों का सेवन करने से तो नहीं हुई । हो भी सकता है क्योंकि वेंडर इन खीरों को जिस केमिकल से हरा बनाते है कभी कभी उसकी मात्रा कुछ खीरों में ज्यादा हो जाती है और वो खीरा जिसके नसीब में आता है वो हमेशा के लिये बदनसीब हो जाता है। और ये सब अधिकारियों के संरक्षण में हो रहा है। सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार इन सबके पीछे अकबर चाँद मुन्ना व कुछ सरकारी वेंडरो की शह पर ये अवैध खीरे का कारोबार चल रहा है। हम आपको अपनी अगली अपडेट में ये जानकारी देंगे के फलों को तरो ताजा बनाये रखने में किन किन केमिकल का इस्तेमाल किया जाता है।
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