12 साल की बेटी अस्पताल में चल बसी, पेजू मोहली को कंधे पर लाना पड़ा शव
बिहार में जमुई जिले के सिमुलतला थाना इलाके के गादी टेलवा गांव के एक गरीब पिता को अपनी बेटी का शव कंधे पर ढोकर ले जाने को मजबूर होना पड़ा. 12 साल की बच्ची बबीता कुमारी की मौत झाझा रेफ़रल अस्पताल में इलाज के दौरान हो गई थी, लेकिन गरीब पिता के पास उतने पैसे नहीं थे कि वो शव को किसी वाहन से अपने घर ले जाता और न ही अस्पताल से शव ले जाने का एंबुलेंस मिला.
बिहार में जमुई जिले के सिमुलतला थाना इलाके के गादी टेलवा गांव के एक गरीब पिता को अपनी बेटी का शव कंधे पर ढोकर ले जाने को मजबूर होना पड़ा. 12 साल की बच्ची बबीता कुमारी की मौत झाझा रेफ़रल अस्पताल में इलाज के दौरान हो गई थी, लेकिन गरीब पिता के पास उतने पैसे नहीं थे कि वो शव को किसी वाहन से अपने घर ले जाता और न ही अस्पताल से शव ले जाने का एंबुलेंस मिला.
इसके बाद मजबूर गरीब पिता पेजू मोहली अपने कंधे पर लाद कर शव को अपने घर ले गया. जानकारी के अनुसार गादी टेलवा गांव के पेजू मोहली के बेटी बबीता बीते कई दिनों से बीमार थी. ज्यादा तबीयत बिगड़ने पर उसे झाझा रेफ़रल अस्पताल में इलाज के लिए शनिवार को भर्ती कराया गया था. पेजू के मुताबिक उसकी बेटी को डॉक्टरों ने दो टैबलेट खिलाया, कोई इंजेक्शन नहीं लगा. इसके बाद रविवार सुबह वो चल बसी.
लाचार पेजू मोहली महादलित है और बेहद गरीबी में जीवन यापन करता है. बेटी बबीता ने बुखार और दस्त की शिकायत की. पेजू कहता है कि उसने खुद डॉक्टरों को ध्यान देने के लिए कहा, पानी चढ़ाने की मनुहारी भी की, लेकिन कोई सुनता ही नहीं था.
वहीं इस मामले में जिले के सिविल सर्जन डॉ श्याम मोहन दास ने बताया कि झाझा रेफ़रल अस्पताल के प्रभारी ने जानकारी दी है कि बच्ची का इलाज झाझा रेफ़रल अस्पताल में हुआ था, लेकिन मौत वहां नहीं हुई थी. हालांकि इस मामले में सिविल सर्जन ने एक कमेटी से मामले की जांच कराने के लिए आदेश देने की बात कही
बिहार में पेजू के साथ जो हुआ वो पहली ऐसी घटना नहीं है. हाल ही में पीएमसीएच की महिलाएं खुद ही अर्थी उठाकर श्मशान की ओर चल पड़ीं. पूछने पर पता चला कि उनका परिजन इस दुनिया में नहीं रहा लेकिन अस्पताल से कोई एंबुलेंस नहीं मिला.
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