(पब्लिक स्टेटमेंट न्यूज 11/02/19 उरई (जालौन)।अब इसे पुलिस प्रशासन की शिथिलता कहें या फिर हर्ष फायरिंग का प्राणान्तक चलन पर इसमें उस मासूम का क्या दोष था? रविवार की रात्रि में कदौरा क्षेत्रान्तर्गत हर्ष फायरिंग का घातक शौक, एक निर्दोष मासूम बच्चे को अपनी जान देकर पूरा करना पड़ा।
बुंदेलखण्ड की बारात हो और बगैर हर्ष फायरिंग के शांतिमय ढंग से सम्पन्न हो जाए, यह तो बुंदेलखण्ड के वाशिन्दों की शान के ख़िलाफ़ समझा जाता है। और समझा भी क्यों न जाए?क्योंकि जब कानून बनाने वाले माननीय और सफेदपोशधारी ही अपने यहाँ ऐसे अवसरों पर हर्ष फायरिंग से बाज़ नहीं आते तो औरों का कहना ही क्या?
विगत पूर्वी वर्षों में जानलेवा हर्ष फायरिंग के दौरान निर्दोषों की मौत में हुई बढ़ोत्तरी के मद्देनज़र तत्कालीन हुक्मरान के इस मसले पर सख़्त रुख की वज़ह से पुलिस भी अति गंभीरता से निगहबानी करने लगी थी जिससे हर्ष फायरिंग के प्राणघातक रिवाज़ पर काफ़ी हद तक अंकुश लग चुका था।
परन्तु हर्ष फायरिंग का पुनः चलन फिरसे अपने पांव पसारता हुआ नज़र आ रहा है, जिसके चलते रविवार की रात कदौरा क्षेत्रांगत ग्राम बागी से कदौरा तशरीफ़ फरमा रही बारात की निकासी के वक़्त की गई हर्ष फायरिंग की चपेट में आने से ग्राम कुसमरा जनपद जालौन के वासी फ़हीम को अपने 4 साल के मासूम बेटे समीर की जान गंवानी पड़ी।
म्रतक बालक के पिता फ़हीम के अनुसार सम्बंधित थाना पुलिस, सूचना मिलने के कुछ ही समय पश्चात घटनास्थल पर पहुँच गयी थी, जिसने रक्तरंजित बच्चे को सीएचसी कदौरा में भर्ती कराया जिसे वहाँ म्रत घोषित कर दिया गया। परन्तु फायरिंग करने वाला व्यक्ति अबतक फ़रार है, जिसके बारे में अभीतक कोई जानकारी प्राप्त नहीं हो सकी है।
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