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शुक्रवार, 24 मई 2019

जालौन लोकसभा से भानु प्रताप वर्मा पाँचवी बार चुने गए सांसद ।#Public Statement



(विष्णु चंसौलियाकी रिपोर्ट)24/05/19 बुंदेलखंड में भाजपा ने किया महागठबंधन को चारों खाने चित
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जालौन लोकसभा से भानु प्रताप वर्मा पाँचवी बार चुने गए सांसद 
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झांसी , हमीरपुर और बांदा की सीटें भी भाजपा की झोली में गईं 
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प्रियंका का नहीं चला कोई जादू , कांग्रेस की शर्मनाक पराजय 
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विपक्ष के सारे नारे व्यर्थ गए । किसी नारे को मतदाताओं ने कोई भाव नहीं दिया । बुंदेलखंड की चारों सीटों पर मोदी का जादू फिर से  मतदाताओं के सिर चढ़कर बोला । प्रत्याशियों की बजाय उन्होने मोदी को वोट देकर उन पर अपना भरोसा जताना मुनासिब समझा। जालौन सीट से भाजपा के भानु प्रताप वर्मा , झांसी से अनुराग शर्मा , बांदा से आर के पटेल और हमीरपुर से पुष्पेंद्र सिंह चंदेल चुनाव जीत गए है । भानु प्रताप और पुष्पेंद्र 2014 में भी इन्हीं सीटों से सांसद चुने गए थे । भानु जालौन लोकसभा क्षेत्र से पाँचवी बार चुने गए हैं जो पूरे बुंदेलखंड के लिए एक इतिहास है । हालांकि पिछली बार से इस बार उनकी जीत का अंतर कम जरूर हुआ ।  

बुंदेलखंड में भाजपा ने दूसरी बार क्लीन स्वीप कर दिया । विकास के मुद्दों पर चर्चा न होने के बावजूद मतदाताओं ने राष्ट्रवाद के नजरिए को ताकत दी । बालाकोट हमला और प्रखर हिंदुत्व की ओर झुके भाजपा की रणनीति कारगर साबित हुई । एक बार फिर से मोदी सरकार और मोदी है तो मुमकिन है जैसे नारे इस कदर मतदाताओं को भा गए कि उन्होने पार्टी के प्रत्याशियों के प्रति नाराजगी को दूर कर मोदी के पक्ष में वोट डाल दिया । हमीरपुर और जालौन के सांसदों के प्रति पार्टी के कार्यकर्ताओं तक में गहरा असंतोष था । मतदाताओं ने उनको वोट न कर मोदी के नाम पर न सिर्फ वोट किया बल्कि ऐसी बात खुलेआम कही भी गई । राहुल का नारा -  चौकीदार चोर है , अखिलेश यादव के छीन लेंगे इनकी चौकी और मायावती-  मोदी नकली पिछड़े हैं की बातें असरकारक नहीं हुईं । 

मतो की गिनती का कार्य जैसे ही शुरू हुआ भाजपा ने लीड लेनी शुरू कर दी । किसी भी राउंड में यह कम नहीं हुई । इसका अंतर विस्तारित होता चला गया । जालौन लोकसभा सीट पर भाजपा के भानुप्रताप  वर्मा , बसपा गठबंधन के अजय सिंह पंकज और कांग्रेस के बृजलाल खाबरी के बीच पहले राउंड से मतों के अंतर के आधार पर जो स्थिति रही वह अंत तक बनी रही । जैसी संभावना जताई जा रही थी परिणाम भी वैसा ही रहा । भानुप्रताप वर्मा भाजपा को पाँच लाख अस्सी हजार पाँच सौ चौंतीस , अजय सिंह पंकज बसपा को चार लाख तेईस हजार एक सौ सत्तावन और कांग्रेस के बृजलाल खाबरी को नवासी हजार पाँच सौ पचपन मत मिले । भानु प्रताप को इस बार एक लाख सत्तावन हजार तीन सौ ससत्तर वोटों से जीत  मिली । 
 2014 में कांग्रेस को 82903 मत मिले थे जबकि भाजपा को 548631 मत मिले थे । तब भानुप्रताप 287602 मतों से बसपा के बृजलाल खाबरी को हराया था ।  गठबंधन धर्म का जैसा पालन होना चाहिए था वैसा नहीं दिखा । दोनों दलों के आधार वोटों पर भी सेंधमारी होती दिखी । कई स्थानों पर यादव वोटों का रूझान पंकज की ओर न होने से स्पष्ट हो रहा था कि बसपा की राहें आसान नहीं हैं । आखिर में ऐसा हुआ भी । अजय सिंह पिछड़ते चले गए । बसपा का पिछली बार विजय चौधरी ने नुकसान किया तो इस बार खाबरी ने कांग्रेस प्रत्याशी बनकर नुकसान किया । 

झांसी से भाजपा के युवा चेहरे अनुराग शर्मा ने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी सपा गठबंधन के प्रत्याशी श्याम सुंदर यादव को काफी छोड़ दिया । भाजपा ने फिर से इस सीट पर अपना कब्जा बनाए रखा । 2014 में यहाँ से साध्वी उमा भारती चुनाव जीती थीं । सपा ने बसपा से मिलकर चुनाव लड़ा फिर भी पिछड़ जाना पड़ा।  प्रत्याशी को पूरी तरह दोनों दलों का आधार वोट भी नहीं मिला । उसे भीतरघात का शिकार होना पड़ गया । खबर लिखे जाने तक भाजपा के अनुराग शर्मा को 733666, सपा के श्याम सुंदर यादव को 401624 वोट मिले थे । बाबू सिंह कुशवाहा का जादू बेअसर रहने से उनके भाई कांग्रेस का समर्थन पाकर बहुत पीछे रह गए । एक बड़ी जीत मिलते देख समर्थकों में खूब उत्साह था । 

हमीरपुर सीट पर भी मोदी की लोकप्रियता काम आई । यहाँ पर सांसद के कामकाज को लेकर लोगों में काफी असंतोष था पर बूथ तक पहुँचते - पहुँचते वह दूर हो गया । शुरूआत में पुष्पेंद्र चंदेल को अपने ही विधायको  के अंतर्विरोध का सामना करना पड़ा पर वह बहुत ज्यादा नुकसान नहीं कर पाया । भाजपा के पुष्पेंद्र चंदेल को 482758 और बसपा के दिलीप सिंह को 275736 वोट प्राप्त हुए ।  2 लाख से अधिक वोटों से जीते चंदेल दूसरी बार सांसद बनने में कामयाब हुए । 
बांदा संसदीय सीट पर भाजपा के आर के पटेल चुनाव जीत गए हैं । उन्होने  भाजपा से ही इलाहाबाद से सांसद रहे श्यामा चरण गुप्त को हरा दिया । यहाँ से भैरों प्रसाद मिश्र का टिकट कटने से ब्राहमणों में नाराजगी जरूर थी लेकिन मोदी मैजिक और अपनी सूझ बूझ से आरके पटेल चुनाव जीतने में सफल रहे । इस प्रकार भाजपा के चुनावी समीकरणों ने महागठबंधन सहित कांग्रेस की सभी रणनीतियों को धराशायी कर दिया ।

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