(पब्लिक स्टेटमेंट न्यूज से आकाश सविता की रिपोर्ट)दिनाँक 7/08/2019 गाय हमारी माता है कानपुर मे तो लगभग अब ये स्लोगन खाली नाम के लिए रह गया है काम के लिए नहीं अब आप लोग सोच रहे होंगे कि मैं ऐसा क्यों बोल रहा हूं या ऐसा क्या हो गया जो मैं इस तरह की बाते कर रहा हूं तो चलिए आइए अब आपको ले चलते है सीधे मामले की ओर बताना चाहता हूँ कल कानपुर सेंट्रल स्टेशन मे जहा लाखो इंसान रोज अपनी यात्रा करने के लिए आते जाते है व मौजूद रहते हैं कल स्टेशन के बाहर सिटी गेट की तरफ एक गाय का बछड़ा काफी घायल व बीमार हालत मे काफी घंटो से वही पड़ा तड़प रहा था पर कोई उसके सहायता के लिए आगे नहीं आया जिसके कारण बछड़ा वही तड़प रहा था तभी विशाल व उसका मित्र वहां से गुजर रहे थे बछड़े को तड़पता देख इन दो इंसान से रहा ना गया, विशाल और उसका दोस्त घायल बछड़े के इलाज के लिए आगे बढ़े व बछड़े को उसके अनुसार उचित इलाज मुहैया कराया मैं बताता चलता हूं कि विशाल और उसका मित्र ना ही कोई गौ रक्षक दल,NGO या किसी ही प्रकार से किसी संस्था के सदस्य नहीं वो भी एक आम इंसान है हमे खुशी है कि विशाल व उसके मित्र द्वारा की गई गौ सेवा से बछड़ा जल्द ही ठीक हो जाए गा मैं विशाल उसके मित्र का दिल से धन्यवाद अदा करता हूं जिन्होंने एक इंसान होते हुए अपने फर्ज को समझा व उसे निभाया.गौ रक्षक संस्थाओं सरकार करोड़ों रुपए का योगदान देती है वह संस्थाएं काम नहीं करती केवल खानापूर्ति करके सरकार से पैसा लेकर अपने कुछ पत्ते चार्ट नेताओं की और अधिकारियों की जेब भरा करते हैं।
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