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बुधवार, 4 सितंबर 2019

यातायात नियमो के जुर्माने पर सरकार करे पुर्नविचार कहा जनमानस ने#Public Statement



(विष्णु चंसौलिया की रिपोर्ट)04/09/19  उरई (जालौन )शासन द्वारा अभी हाल मे यातायात के नियमो के उल्लंघन पर जुर्माने पर जो बदलाव किया उस पर  आम जनमानस ने अपनी प्रतिक्रियाये देनी शुरू कर दी ! कुछ इसे कडाई से पालन करने की बात कर रहे है तो कुछ इस पर पुर्नविचार की बात कह रहे है ! डा0 नईम बौबी इस परिवर्तन पर कहते है कि अब तो ऐसा लगता है कि जनता ही एक मात्र अपराधी है और जुर्माना देने के लिये उत्तरदायी है ! प्रशासन, निगम , और सरकार की कोई जिम्मेदारी नही है ! तभी तो खराब सिग्नल कोई जिम्मेदार नही , सडक मे गड्ढे ही नही गढ्ढो मे सडक आये दिन दुर्घटनाये हो रही कोई जिम्मेदार नही , 

अतिक्रमण फुटपाथ पर किसी की जिम्मेदारी नही सडक पर कचडे के ढेर किसी की जिम्मेदारी नही पर बिना हेलमेट जुर्माना 1000, नो पार्किंग मे पार्किग करना जुर्माना 3000, बीमा नही जुर्माना 1000, शराब पीकर वाहन चलाना हर्जाना 10000, नो इन्ट्री मे वाहन चलाना हर्जाना 5000, प्रदूषणों सर्टीफिकेट नही हर्जाना 2000 यानि जनता की छोटी छोटी भूल पर झमाझम जुर्माना और शासकीय व्यवस्थाये जर जर  पर विभागीय कर्मचारियों पर कोई कार्यवाही नही ये कहाँ का न्याय है  ! 

जागरूक नागरिक अखिलेश कुमार खरे कहते है कि यातायात नियमो की अनदेखी करने वालो पर जुर्माना तो हो लेकिन एक सीमा तक फिर क्या भरोसा कि जो यातायात के नियमो का उल्लंघन किया हो उस पर जुर्माना किया गया हो आधे आधे पर भी तो सौदा हो जाता है ! अधिवक्ता और पूर्व छात्र संघ नेता विवेक तिवारी कहते है कि सरकार नये जुर्माने पर पुर्नविचार करे और फिर सख्ती से लागू करे हम सरकार के साथ है ! पूर्व  प्रधान रामप्रकाश निरंजन पडरी  का मत है कि ग्रामीण जनो के साथ सहानुभूति होनी चाहिये चूँकि गाँव के लोग बहुत कुछ नियम कानून नही जानते है उन्हे समझायें फिर पुनरावृत्ति हो तो जुर्माना लगाये पर नये जुर्माने पर सरकार को एक वार विचार करना चाहिये ! वही जनहित मे होगा !

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