दिनाँक - 27/06/2020
पब्लिक स्टेटमेंट न्यूज से आकाश सविता की रिपोर्ट
ब्रिटिश लेखक डेविड प्रिंसिज द्वारा प्रकाशित अपनी एक पुस्तक ‘रिलिजियस डेमोक्रेसी’ में लिखा है कि 'किसी भी लोकतांत्रिक देश में होने वाला धार्मिक टकराव उसके लिए एक दीमक की तरह होता है, जो धीरे-धीरे लोकतांत्रिक प्रणाली को नष्ट कर देता है।' मतलब यह कि धार्मिक विविधता के बावजूद कायम रहने वाली एकता लोकतंत्र को मजबूती देता है और अखंड रखता है।
यह चर्चा इसलिए करनी पड़ रही है कि देश के सबसे बड़े राज्य उत्तरप्रदेश के पूर्वांचल इलाके जिसे हिन्दूवाद का गढ़ माना जाता है, वहां एक अलग तरह की बयार बह रही है। इस इलाके में मुख्यत: बनारस, आजमगढ़, गोरखपुर और बस्ती मंडल के जिले हैं। बनारस से देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गोरखपुर से भाजपा के अत्यंत प्रसिद्ध नेता योगी आदित्यनाथ सबसे बड़े प्रदेश उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं। अब इसी से अंदाजा लगा लीजिए कि यहां हिन्दूवाद की जड़ें कितनी गहरी होंगी। हिन्दूवाद के लिए उर्वर पूर्वांचल के गोरखपुर की धरती से कौमी एकता की फसल लहलहाने का प्रयास किया जा रहा है। यह परस्पर विरोधी सूचना सुनने में तो अटपटा लग रहा है, पर है सौ फीसदी सत्य।
आपको बता दे कि उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कौमी एकता यानी सर्वधर्म समभाव का अलख जगाने के लिए बिगुल बज चुका है। गोरखपुर जनपद के ही गांव भस्मा-डवरपार में एक सामाजिक संस्था ‘धराधाम ट्रस्ट’ है। ‘धराधाम’ के मुखिया मनीषी डॉ.सौरभ पाण्डेय प्रमुख समाजसेवी ,लेखक एवम शानदार वक्ता हैं। वे पिछले करीब 20 वर्षों से कौमी एकता यानी सर्वधर्म समभाव के प्रचार-प्रसार के लिए काम कर रहे हैं।
मीडिया की चकाचौंध और अपने कार्यों के प्रचार के विरुद्ध सोच रखने वाले मनीषी डॉ.सौरभ पाण्डेय ने यह तय किया था कि वे इस इलाके में सर्वधर्म समभाव का बीजारोपण करके ही रहेंगे। 38 वर्षीय डॉ सौरभ पाण्डेय के मन में यह ख्याल क्यों आया, यह अलग विषय है, पर इतना जरूर है कि इस इलाके में उन्होंने सर्वधर्म समभाव की रेखा को चटख तो कर ही दिया है। जहां हिन्दूवाद के अलावा किसी भी दूसरे वाद की चर्चा करने से लोग कतराते थे, वहां अब लोग सर्वधर्म समभाव यानी कौमी एकता की बात कर रहे हैं।
दिलचस्प यह है कि गोरखपुर के गांव भस्मा-डवरपार स्थित धराधाम ट्रस्ट के द्वारा एक ही परिसर में दुनिया के सभी प्रमुख धर्मों का प्रतीक स्थल बनाने की प्रक्रिया आरंभ हो गई है, जो कौमी एकता की परिकल्पना को और मजबूत बना रही है।
जानकारों का कहना है कि ‘धराधाम’ परिसर में मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा, गिरिजाघर स्तूप,सिंनगाग, फायर टेम्पल समेत प्रसिद्ध धर्मों के प्रतीकस्थल के अलावा एक धरतीमाता का विशाल स्थल भी बनने जा रहा है। एक परिसर में इतने सारे धर्मों का प्रतीक स्थल शायद दुनिया में पहला होगा। यही वजह है कि आजकल इस मौसम में भी ‘धराधाम’ और सर्वधर्म समभाव की चर्चा जोरों पर चल रही है।
धराधाम का शिलान्यास बॉलीवुड के चर्चित सिने स्टार राजपाल यादव ,सर्व समभाव पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीपाल यादव,सेंट जॉन चर्च के डीन संजय विंसेंट ,सिख समाज के जसपाल सिंह ,जैन समाज से पुष्पदन्त जैन ,बौद्ध धर्म से ..पारसी से विनय कुमार द्वारा विभिन्न धर्मों के प्रतिनिधियो सहित हजारों गणमान्यों के शानदार उपस्थिति में में सम्पन्न हो चुका है। बताते हैं कि करोङो की लागत से बनने वाले सभी धर्मों के प्रतीक स्थलों को यथाशीघ्र बनवाने की योजना है।
यूं कहें कि धराधाम ट्रस्ट अपने मिशन में कामयाब होता जा रहा है जिससे हिन्दूवादियों में घबराहट तो है, पर धरा धाम की प्रसार के आगे वे कुछ भी बोलने को तैयार नहीं हैं।
यहां यह भी उल्लेखनीय है कि भारतीय संविधान में भी कौमी एकता को मजबूत करने की बात वर्णित है, पर कुछ राजनीतिक दलों द्वारा निहित स्वार्थों की वजह से जाति-धर्म में लोगों को बांटकर वोट बटोरने का प्रयास किया जाता रहा है। लगता है, अब लोग इन बातों को समझने लगे हैं। यदि गोरखपुर के धराधाम की आवाज देश-दुनिया में गूंजती है तो निश्चित ही जाति-धर्म के नाम पर राजनीति करने वालों को आघात पहुंचेगा।
देश में कौमी एकता की इतनी अधिक अहमियत है कि हर वर्ष 'कौमी एकता सप्ताह' यानी 'राष्ट्रीय एकता सप्ताह' पूरे राष्ट्र में हर साल 19 से 25 नवंबर तक मनाया जाता है। कौमी एकता सप्ताह के अंतर्गत हर दिन तरह-तरह के कार्यक्रमों का आयोजन होता है। कुछ कार्यक्रम जैसे बैठकों, सेमिनारों, संगोष्ठियों, विशेष रूप से महान कार्यों, सांस्कृतिक गतिविधियां इस समारोह की विषयवस्तु (राष्ट्रीय एकता या कौमी एकता सप्ताह, धर्मनिरपेक्षता, अहिंसा, भाषायी सौहार्द, विरोधी सांप्रदायिकता, सांस्कृतिक एकता, कमजोर वर्गों के विकास और खुशहाली, अल्पसंख्यकों के महिला और संरक्षण के मुद्दों) को उजागर करने के लिए आयोजित की जाती है।
सप्ताह का उत्सव राष्ट्रीय एकता की शपथ के साथ शुरू होता है। कौमी एकता सप्ताह और सार्वजनिक सद्भाव अथवा राष्ट्रीय एकता की ताकत को मजबूत करने के लिए मनाया जाता है। कौमी एकता वाला एक सप्ताह तक का समारोह पुरानी परंपराओं, संस्कृति और सहिष्णुता की कीमत और भाईचारे की भारतीय समाज में एक बहु-धार्मिक और बहु-सांस्कृतिक धर्मों की पुष्टि करने के लिए सभी को एक नया अवसर प्रदान करता है। ये सांप्रदायिक सौहार्द बनाए रखने के लिए भी देश में निहित शक्ति और लचीलेपन को उजागर करने में सहायता करता है।
राष्ट्रीय एकता समारोह के दौरान भारत की स्वतंत्रता और ईमानदारी को संरक्षण और मजबूत करने की प्रतिज्ञा ली जाती है। प्रतिज्ञा में यह निश्चय किया जाता है कि सभी प्रकार के मतभेदों के साथ ही भाषा, संस्कृति, धर्म, क्षेत्र और राजनीतिक आपत्तियों के विवादों को निपटाने के लिए अहिंसा, शांति और विश्वास को जारी रखा जाएगा।
डॉ. सौरभ पाण्डेय का कारवाँ पूरे विश्व मे बढ़ रहा है।काफी देश के लोग धराधाम इंटरनेशनल से जुड़ रहे है।डॉ. सौरभ के इस सर्वधर्म समभाव के विश्वव्यापी जनजागरण अभियान में रत्नाकर तिवारी,पद्मश्री विजय शाह,सूर्यप्रकाश पाण्डेय, प्रेम पाण्डेय (आईं टी हेड)आशुतोष शुक्ला,डॉ. सतीशचन्द्र शुक्ला,सोमनाथ पाण्डेय,डॉ. रत्नेश कुमार पाण्डेय,महेश ओझा,मणिधर पाण्डेय,संजय विंसेंट,जगनैंन सिंह नीटू, जसपाल सिंह,गोरखलाल श्रीवास्तव,त्रियोगी नारायण पाण्डेय ,गीता पाण्डेय,केशव प्रसाद श्रीवास्तव, डॉ. एहसान अहमद ,गौतम पाण्डेय,डॉ. संजय पाण्डेय कृपाशंकर राय,राजा भाऊ सेठ ,श्रीमती रागिनी आदि का विशेष मार्गदर्शन एवम सहयोग प्राप्त हो रहा है।कोरोना महामारी के इस विकट परिस्थिति में भी धराधाम इंटरनेशनल जड़े गणमान्य अपने अपने क्षेत्रों के जरूरतमन्दों को आवश्यक संसाधन मुहैया कराए है।पर्यावरण संरक्षण,मानव सेवा ,शिक्षा ,स्वास्थ्य आदि पर भी धराधाम इंटरनेशनल ध्यान दे रहा है।एवम मानव सेवा में तल्लीन है।धराधाम इंटरनेशनल द्वारा पूरे विश्व में सर्वधर्म समभाव एवम कौमी एकता की अलख जगाने का प्रयास किया जाएगा ताकि धर्म पर आधारित दंगों पर विराम लग सके।
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