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सोमवार, 11 जनवरी 2021

आत्मनिर्भर भारत, नई शिक्षा नीति जैसे कई विषयों पर शिक्षा विदों ने रखी राय#Public Statement



11 जनवरी 2021 कानपुर। शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास कानपुर प्रांत द्वारा एक "प्रांतीय शैक्षिक कार्यशाला" का आयोजन किया गया। कार्यशाला का आयोजन ऑनलाइन हुआ, जिसमें विभिन्न स्थानों से न्यास के राष्ट्रीय पदाधिकारियों ने भी कार्यशाला को संबोधित किया। कार्यशाला दो सत्रों में संपन्न हुई।कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलन के साथ जया बाजपेई और वंदिता तिवारी के द्वारा सरस्वती वन्दना करते हुए किया गया। कार्यशाला का संचालन न्यास के वरिष्ठ कार्यकर्ता धर्मेन्द्र अवस्थी द्वारा किया गया। इस दौरान न्यास के प्रवासी कार्यकर्ता व मेरठ प्रांत के संयोजक, समीर कौशिक ने अपने विचार व्यक्त करते हुये नई शिक्षा नीति लाने के प्रयोजन को समझाया। उन्होंने बताया कि आज के समय मे किस प्रकार ये शिक्षा नीति नई युवा पीढ़ी व भारत के भविष्य पर प्रभाव डालेगी।शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के कानपुर प्रांत की संयोजिका डाॅ. बिन्दु सिंह ने सभी उपस्थितजनों का परिचय कराते हुये उनका स्वागत किया।प्रांतीय शैक्षिक कार्यशाला के प्रथम स़त्र में चरित्र निर्माण एवं व्यक्तित्व विकास के राष्ट्रीय संयोजक देशराज शर्मा ने अपने विचार व्यक्त करते हुये उपस्थित लोगों को न्यास के इतिहास, विकास व कार्यों के बारे में सम्पूर्ण जानकारी दी। उन्होंने कहा कि आज शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास लगभग 14 से अधिक विषयों पर कार्य कर रहा है।उ.प्र. वस्त्र प्रौद्योगिकी संस्थान कानपुर के निदेशक डाॅ. मुकेश सिंह ने राष्टृीय शिक्षा नीति -2020 के क्रियान्वयन पर अपने विचार व्यक्त किये।  कार्यशाला का समापन डाॅ. बिंदू सिंह ने वृत्त निवेदन रखते हुए किया।द्वितीय सत्र में शुरू हुई कार्यशाला में मुख्य वक्ता व अतिथि कानपुर विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता रहीं। श्रीमती नीलिमा गुप्ता ने नई शिक्षा नीति -2020 का आत्मनिर्भर भारत बनने में क्या स्थान होगा व इसमें आमजन की क्या भूमिका होगी, आदि पर विस्तृत प्रकाश डाला।उन्होंनेन बताया कि किस प्रकार हमें इस क्षेत्र में कार्य करना है और भारत के आत्मनिर्भर बनने की दिशा में कैसे कदम बढ़ाना है। उन्होंने कहा कि कोविड-19 के दौरान विश्वविद्यालय स्तर पर हमने कौशल विकास के माध्यम से कई प्रयोगों (नवाचारों) को किया और आत्मनिर्भरता की तरफ बहुत बड़ा कदम उठाया। उन्होंने कहा कि आत्मनिर्भर भारत के तहत हमने विश्वविद्यालय में नीम की पत्तियों से सेनेटाइजर बनवाया, वेस्ट मटीरियल से कई उत्पाद बनवाये और आगे वेस्ट फूलों से हम खुद का परफ्यूम बनाएंगे। नई शिक्षा नीति -2020 के क्रियान्वयन पर परिचर्चा का संचालन, सरस्वती महिला महाविद्यालय के सहायक प्राध्यापक व न्यास में शिक्षक शिक्षा विषय के कानपुर प्रांत संयोजक, डॉ. प्रबल प्रताप सिंह के द्वारा किया गया। इस दौरान एस.जे. महाविद्यालय के प्रबंधक डाॅ. सुबोध कटियार, कानपुर विश्वविद्यालय कला संकाय की विभागाध्यक्ष डॉ. गायत्री सिंह तथा  पीएसआईटी इंजीनियरिंग कालेज के डॉ. ए.पी. सिंह ने अपने विचार व्यक्त किये तथा नई शिक्षा नीति के क्रियान्वयन पर विस्तृत प्रकाश डाला।कानपुर विश्वविद्यालय में कला संकाय की विभागाध्यक्ष डॉ. गायत्री सिंह ने कहा कि नई शिक्षा नीति में भाषा पर जोर एक नायाब चीज है। शैक्षिक जगत में मूल समस्या भाषाई समस्या है, जिसपर शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास, बड़ा काम कर रहा है।पी.एस.आई.टी. कालेज से प्रो. ए.पी. सिंह ने कहा कि हमने कालेज में गुणवत्ता के लिए मैनेजमेंट बनाया है, कॉलेज में नई शिक्षा नीति, उद्यमिता और विकास की सेल गठित की गई है। उन्होंने कहा कि हमारा सदैव ही नये उद्यम को बढ़ाने का प्रयास रहा है। प्रतियोगी परीक्षा विषय पर कार्य कर रहे न्यास के कार्यकर्ता अतुल कुमार ने आगामी कार्यक्रमों की रुपरेखा की जानकारी देते हुये अपने विचार व्यक्त किये।कार्यशाला का समापन डाॅ. कैलाश विश्वकर्मा (प्राचार्य/राष्टृीय संरक्षक वैदिक गणित/अध्यक्ष कानपुर प्रांत) के द्वारा उद्धोधन के साथ किया गया।  कल्याण मंत्र व राष्ट्र गीत के साथ कार्यशाला का समापन किया गया। इस दौरान मुख्य रूप से स्नेह अग्निहोत्री, आभा निगम, अपर्णा शुक्ला, सर्वोत्तम तिवारी, के. के.पाण्डेय, नीरज पाण्डेय, रमाकांत मिश्रा, अर्पिता श्रीवास्तव, चंद्रलता मिश्रा, दीपिका शलभ अस्थाना, प्रिया बाजपेई, शोभित और शिवम आदि लोग उपस्थित हुये व कई  विशिष्टजन/ न्यास के कार्यकर्ताओं की ऑनलाइन उपस्थिति रही।

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