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बुधवार, 31 जनवरी 2018

#कानपुर का बाजार बेसब्री से कर रहा राहत का इंतजार।



कानपुर:- कानपुर लगातार दो साल से कड़े आर्थिक फैसलों से आहत आम आदमी और कारोबारियों को इस बार उम्मीद है कि इस बजट में कुछ राहत मिलेगी। जिंदगी कुछ आसान होगी और पटरी से उतरा कारोबार सरपट दौड़ेगा। पिछले साल एक जुलाई को देश का सबसे बड़ा कर सुधार जीएसटी लागू हुआ। इस कदम ने पूरी भारतीय अर्थव्यवस्था को कई मायनों में बदल दिया। खास बात ये है कि इनडायरेक्ट टैक्स के बाहर निकलने से बजट 2018 का सस्पेंस खत्म हो गया है। औद्योगिक और कारोबारी शहर कानपुर को बजट से बहुत उम्मीदें हैं। क्या हैं कानपुर के कारोबारियों की उम्मीदें और वह क्या चाहतें हैं देखिए।


सराफा बाजार
-यूपी का सबसे बड़ा सराफा बाजार
-कम से कम 3000 सराफा व्यापारी
-स्वर्णकार और कारीगरों की संख्या 5000
-सालाना 15 हजार करोड़ का कारोबार
उम्मीदें और मांग
-सोने पर 10 फीसदी कस्टम ड्यूटी है। इसे घटाकर 5 प्रतिशत किया जाए। तभी तस्करी पर लगाम लगेगी और व्यवसाय विकास करेगा।
-पूर्व में सराफा व्यवसाय पर 1 फीसदी वैट था। जीएसटी में इसे बढ़ाकर 3 फीसदी कर दिया गया। इसे वापस पुरानी दरों पर लाया जाए।
-सराफा व्यापारी दस हजार से ऊपर कैश भुगतान नहीं कर सकते। इमरजेंसी में कोई सोना बेचने आए तो क्या करें। दस हजार की सीमा 15 साल पुरानी है। तब सोने का भाव 4 हजार रुपए दस ग्राम था। इसे बढ़ाकर 50 हजार रुपए किया जाए।


यूपी सराफा एसोसिएशन के अध्यक्ष महेश चंद्र जैन कहते हैं कि देश में रोजगार देने के मामले में सराफा बाजार का योगदान किसी से छिपा नहीं है। इसके बावजूद दस फीसदी कस्टम ड्यूटी और तीन फीसदी जीएसटी ने इस सेक्टर की कमर तोड़ दी है। 13 फीसदी टैक्स के बोझ का ही असर है कि सोने की तस्करी दिन प्रति दिन बढ़ रही है। इसे कम करना ही चाहिए। 

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