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मंगलवार, 6 मार्च 2018

उर्सला अस्पताल के हाल.बेहाल डाक्टर व कर्मचारी ठोंकते है ताल



रिपोर्ट:-दिग्विजय सिंह के साथ अमित कश्यप
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उर्सला अस्पताल के हाल.बेहाल डाक्टर व कर्मचारी ठोंकते है ताल

कानपुर:-कहते है जब किसी इंसान की तबियत खराब हो जाये तो उसे तत्काल किसी अच्छे अस्पताल में किसी अच्छे डाक्टर की आवाश्यकता होती है।  यदि 
डाक्टर ही किसी बीमारी का शिकार हो जाये तो फिर उसे किसके पास लेकर जाये।
मैं बात स्पष्ट शब्दों में कहता हूँ डाक्टर जो आज अहंकार रूपी बीमारी से ग्रसित है.डाक्टर जो आज मानसिक विक्रति का शिकार है.डाक्टर जो आज दुनिया की भौतिक चमक में इतना अनुभवहीन हो गया है की उसे अपनी नैतिक जिम्मेदारी का इल्म नहीं रहा। निरंतर पैसों की भूख ने डाक्टर पेशे को जल्लादों की श्रेणी में ला खड़ा किया है जहां मरीज को बचाना प्राथमिकता नहीं होता..बस  मरीज के तीमारदारों को तब तक नोचते रहते है जब तक उसका घर बार न बिक जाये वो कंगाल न हो जाये।आज देश के लगभग सभी अस्पतालों का यही हाल है।
कभी डाक्टर धरती का भगवान समझा जाता था पर डाक्टरों के कारनामे देखने और सुनने के बाद आप इन्हें क्या संज्ञा देंगे ये आप पर निर्भर करता है। 

कानपुर के उर्सला हॉस्पिटल में कल यही चरितार्थ होते पाया गया पहले तो दोपहर को एक भाजपा के नेता अस्पताल का औचक निरीक्षण करते है वहां मुर्दाघर में शराब की बोतलें और गंदगी के अम्बार पाये गये जब इसकी शिकायत करते एक पत्रकार कमल शंकर मिश्रा ने नेता जी को जानकारी दी तो उर्सला का पूरा स्टाफ उनका दुश्मन बन गया। चूंकि कमल शंकर मिश्रा जी अपनी माता जी का इलाज वही करा रहे थे। उनकी माता जी आई सी यू में एडमिट थी। नेता जी के जाने के बाद आई सी यू के स्टाफ ने कमल शंकर पर हमला कर दिया उन्हें कई लोगों ने मारपीट कर उनके कपड़े तक फाड़ दिये।आई सी यू जैसी जगह जहां कई गम्भीर मरीज रहते है वहां इस तरीके का हंगामा क्या अब अस्पतालों में स्टाफ के नाम पर गुंडे रखे जाते है। जो मरीज के तीमारदार डाक्टरों की शिकायत करते है उन्हें ये गुंडे मार मार कर अधमरा कर देते है। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक उर्सला में ऐसे कई डाक्टर है जो पिछले 12 13 सालों से इसी अस्पताल में विराजमान है। दवाइयों और ऑपरेशन के नाम पर हर दिन मोटी रकम कमा रहे है इनके खिलाफ जब भी कोई आवाज उठाता है तो ये अपने पैसे और रसूक के चलते उसकी आवाज दबा देते है। मरीजों को बाहर से दवा लाने को मजबूर करना। ऑपरेशन करने के नाम पर दलालों के माध्यम से मरीज से मोटी रकम की मांग करना अब आम बात हो गई है। देश को  डाक्टरों के इस रवैइये से काफी दर्द मिल रहा है जिसकी दवा अब शायद ऊपर वाले डाक्टर के पास भी नहीं अब इन्हीं डाक्टरों से पूछो की देश के दर्द की दवा किस मेडिकल स्टोर में मिलेगी।

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