महिला सशक्तिकरण के सपने को सच करने के लिये लड़िकयों के महत्व और उनकी शिक्षा को प्रचारित करने की जरुरत है। इसके साथ ही हमें महिलाओ के प्रति हमारी सोच को भी विकसित करना होगा यह बात सिविल बार एसोसिएशन के तत्वावधान आयोजित महिला अधिकार व जागरूकता सप्ताह में आयोजित गोश्ठी में सिविल बार एसोसिएशन के अध्यक्ष जितेन्द्र प्रताप सिंह चौहान ने कहा कि महिला सशक्तिकरण मतलब महिलाओ की उस क्षमता से है। जिससे उनमे ये योग्यता आ जाती है जिसमे वे अपने जीवन से जुड़े सभी निर्णय ले सकती है जितेन्द्र चौहान ने कहा कि सरकार को ही नही बल्कि सामाजिक संस्थाओं को महिलाओं के वास्तविक विकास के लिये पिछड़े ग्रामीण क्षेत्रों में जाना होगा।वहाँ की महिलाओं को सरकार की तरफ से मिलने वाली सुविधाओं और उनके हर अधिकारों से अवगत कराना होगा। जिससे उनका भविष्य बेहतर हो और इस निमित्त वह सिविल बार एसोसिएशन के माध्यम से लगातार जागरूकता अभियान हर स्तर पर चलाते रहेंगे। गोश्ठी की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता रवींद्र नाथ मिश्रा ने कहा कि महिलायें कितनी सक्षम हैं ये किसी को बताने की आवश्यकता नहीं है। महिलाओं ने खुद ही अपनी हिम्मत और श्रम से हर समाज और हर दौर में इसे साबित किया है। मुलायम सिंह यादव ने कहा कि महिला अपने आप में एक परिपूर्ण शब्द है। जो अपने भीतर बहुत कुछ छिपाये हुए है। वो मां है वो बहन है वो पत्नी है और क्या-क्या है ये बताने की जरूरत नहीं, किन्तु महिलाओं को मजबूत बनाने के लिये महिलाओं के खिलाफ होने वाले दुर्व्यवहार, लैंगिक भेदभाव, सामाजिक अलगाव तथा हिंसा आदि को रोकने के लिये सरकार और कई सारे कदम उठाने होंगे। एकीकृत के पूर्व उपाध्यक्ष रामदेव सिंह ने कहा कि महिलाओं के प्रति सम्पूर्ण पुरूष समाज कृतज्ञ है कहा कि महिलायें अपनी ज़िम्मेदारियां बखूबी और बेहद सुंदरता से और खास बात, बगैर किसी अपेक्षा के निभाये जा रही हैं। संजय सिंह सिसौदिया ने कहा कि महिला अधिकारों के प्रति यदि देखा जाए तो नई पीढ़ी की महिलाएं तो स्वयं को पुरुषों से बेहतर साबित करने का एक भी मौका गंवाना नहीं चाहती लेकिन गांव और शहर की इस दूरी को मिटाना जरूरी है।एकीकृत बार की पूर्व पुस्तकालय मन्त्री कु0 ज्योति सिंह व श्रीमती मंजू गुप्ता ने महिला अधिकारों के प्रति देश के संविधान व कानून पर विश्वास व्यक्त करते हुए कहा कि भारत का संविधान दुनिया में सबसे अच्छा समानता प्रदान करने वाले दस्तावेजों में से एक है। यह विशेष रूप से लिंग समानता को सुरक्षित करने के प्रावधान प्रदान करता है। युवा अधिवक्ता शैलेन्द्र सिंह यादव ने कहा कि वह गरीब, असहाय व पीड़ित महिलाओं को निशुल्क विधिक साक्षरता व सहायता की आवश्यकता है। जिसके लिए वह अपनी सेवाएं निशुल्क रूप से देते रहेंगे। सामाजिक कार्यकर्ता रजत रुद्र गुप्ता ने विधिक महिला अधिकारों के प्रति विधिक जागरूकता में अपना सहयोग देने की बात कही। इस अवसर पर प्रमुख रूप से जितेन्द्र मिश्रा, सुशील कटियार, के पी सिंह , विनोद कुमार दिवाकर, श्याम यादव, अंकिता सिंह तोमर, आनन्द स्वरूप शुक्ला, जनमेजय सिंह, एकीकृत बार के वरिष्ठ उपाध्यक्ष वीरेन्द्र पाल आदि ने अपने विचार रखे।
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