रिपोर्ट:-दिग्विजय सिंह के साथ अमित कश्यप
कानपुर:-जहां पूरे देश में पुलिसिया कार्यप्रणाली पर हमेशा उंगली उठती रही है।किसी भी घटना के साक्षो के साथ हेरा फेरी करने सबूतो को मिटाने जैसे कारनामे पुलिस को बखूबी आते है। वर्दी ग्रहण करते समय जो शपथ एक पुलिस कर्मी लेता है वो फिल्म के डायलॉग की तरह होता है जो तीन घंटे के मनोरंजन के बाद लोग भूल जाते है। ठीक उसी तरह पुलिस भी इन कसमों को डायलॉग की तरह इस्तेमाल कर भूल जाते है।*
कानपुर:-जहां पूरे देश में पुलिसिया कार्यप्रणाली पर हमेशा उंगली उठती रही है।किसी भी घटना के साक्षो के साथ हेरा फेरी करने सबूतो को मिटाने जैसे कारनामे पुलिस को बखूबी आते है। वर्दी ग्रहण करते समय जो शपथ एक पुलिस कर्मी लेता है वो फिल्म के डायलॉग की तरह होता है जो तीन घंटे के मनोरंजन के बाद लोग भूल जाते है। ठीक उसी तरह पुलिस भी इन कसमों को डायलॉग की तरह इस्तेमाल कर भूल जाते है।*
*मामला बाबू पुरवा थानांतर्गत झकरकटी बस स्टेंड का है जहां इन दिनों रोडवेज़ अधिकारी .कर्मचारी .चालक परिचालक.यहां तक खानपान की दुकान वाले सभी बस स्टेंड परिसर में लूट मचाये है। अवैध लोडिंग द्वारा परिचालक बसों को भैंसा ठेला बनाये है ऐसा नहीं की इसकी जानकारी ए .आर.एम साहब को नहीं इस सब कामों में कहीं न कहीं वो भी संलिप्त है। इस सबकी जानकारी होने के बाद एक पत्रकार मोहित पांडेय जब अपने न्यूज़ पेपर पर पब्लिक स्टेटमेंट में इसे प्रमुखता से छापता है और इसके बाद जब इसकी जानकारी ए.आर.एम राजीव कटियार को देते हुए कुछ सवाल पूछता है तो खिसियाये बैठे यातायात अधीक्षक सुरेश चंद शंखवार पत्रकार मोहित पांडेय को गरियाते हुए भगाने लगते है जब पत्रकार और छायाकार इसका विरोध करते है तो उन्हें मारपीट कर उनका कैमरा तोड़ देते है और वहां बैठे ए आर एम साहब ये सब तमाशे की तरह देख रहे होते है।पीड़ित पत्रकार ने जब इसकी शिकायत I G R S के माध्यम से की तो इसकी जांच का जिम्मा ट्रांसपोर्ट नगर चौकी इन्चार्ज फइम खान को मिलता है और फइम खान ने भी मामले की निष्पछ जांच किये बिना न्यायाधीश बनते हुए उल्टा 107/116का केस पत्रकार पर थोप दिया। जबकि पत्रकार मोहित पांडेय ने फइम खान को मोबाइल के माध्यम से अवैध लोडिंग के सारे बीडीओ फुटेज उपलब्ध कराये थे। जो आज भी मोहित पांडेय के पास सुरक्षित है।
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