रिपोर्ट दिग्विजय सिंह
2 जुलाई 2018 कानपुर सेंट्रल अखिर कैसे हो इस संघठित दलालो का खेल खत्म ,आज रेलवे पार्सल कानपुर में टैक्स अधिकारियों और दलालो के इस रैकेट को कैसे उनके अन्जाम तक पहुचाया जाय जो कर चोरी कर माल को लाना लेजाना हर रोज लीज एसएलआर के माध्यम से करते है क्यों इन दलालो पर अभी तक कोई शिकंजा नहीं कसा जा रहा है जब कि थाने से लेकर रेल्वे के हर छोटे बड़े अधिकारी को मालूम है कि कौन-कौन इस खेल में लिप्त है क्यों कि सभी को अपना शुविधा शुल्क मिलता है जिसके कारण इन पार्सल दलालों के नाम उजागर होने के बाद भी कानून से बच निकलते है अपनी मन मुताबिक जैसे चाहे वैसे मामला रफा दाफा कर लेते है वैसे इन सभी दलालों की संपत्ति की जांच होनी जरूरी है कि इतने कम समय मे इन सभी लोगो ने कुबेर के खजाने से धन अर्जित कर लिया है ये सब लोग आज अपने पैसे के बल पर टैक्स चोरी कर आज बडे शान से अपने काम को अंजाम दे रहे है क्यों ये रेलवे पार्सल को अपना घर समझ कर बैठे है अखिर क्यो आज तक इनके सिंडिकेट को खत्म नहीं किया गया
कई बार शासन से जांच आई लेकिन पैसे के बल पर जांच रफा दफा करके निपटा दिया जाता है क्या ये सब बिना सरकारी आधकारी की मिली भगत से संभव है जब कि सरकारी खजाने के नुकसान पहुचाने वाला सजा का हक दार है सेन्ट्रल एक्ससाइज विभाग ने छापे मारे यहां तक दिल्ली से आई टीम ने कुछ पान मसाला बुक करने वाले दलालो पर एफआईआर तक दर्ज की पर सेल टैक्स यानि जीएसटी अधिकारियों को इन दलालो के बारे में जानकारी नही है ना कभी जाने की कोशिश की गई पैसे के हुकूमत के बल पर इन सभी भ्रष्टाचारियो की जड़ मजबूत होती रही जो आज पूरे रेल्वे परिसर मे फैली है अब तो योगी जी की शासन में इन कर चोरी करने वाले करने वाले नाम कब सामने आएगे या नही कब इनकी चल अचल संपत्ति की जाँच हो गी क्या कोई ईमानदार ऑप्सर आए गे इनके सिंडिकेट को खत्म करने के लिए
कौन है दलालो और अधिकारी के बीच की कड़ी ?
कौन है ये पंचम श्रेणी के कर्मचारी जो अपने अधिकारियों को कर चोरी करने वाले से मिलने वालों की रकम पहुचता है ?जो रेलवे पार्सल के बाहर बैठ कर बिना टैक्स के मालो का हिसाब किताब रखते है जिनके आगे सरकार के सारे नियम व कायदे कानून बेकार है रेलवे से आने वाले कर चोरी माल के नग के हिसाब के तेय शुविधा शुल्क जिसका खुलाशा करेगे अगली खबर में दलालो के नाम के साथ
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