गंगा को साफ करने वाला क्लीनर सिस्टम 6 माह से ठप,गंगा की सफाई में लगे प्राइवेट कर्मचारियों को लेटलतीफ मिलता है वेतन
कानपुर 13/जुलाई/2018, अविरल गंगा और निर्मल गंगा का संकल्प लेकर सत्ता में भाजपा की मोदी सरकार भले ही गंगा सफाई के लिए करोड़ों खर्च कर रही है लेकिन जमीनी स्तर पर लगे जिम्मेदार सफाई के नाम पर आ रहे रकम की बंदरबांट करने में जुटे हुए हैं सालों से गंगा दर्शन व गंगा स्नान करने आ रहे श्रद्धालुओं की मानो तो गंगा सफाई के लिए आ रही रकम कि बंदरबांट की जा रही है नाम ना छापने की शर्त पर गंगा सफाई में जुटे कर्मचारी ने बताया कि कर्मचारियों का वेतन कभी भी समय से नहीं आता है व क्लीनिंग सिस्टम ठप पड़ा हुआ है बैराज से लेकर जाजमऊ तक तकरीबन 70 से 80 नाले गंगा को प्रदूषित कर रहे हैं चार साल के मोदी सरकार के कार्यकाल में सीसामऊ नाले का भी समाधान सरकार नहीं कर पाई है ।
मोदी सरकार बनते ही शहर में आई मंत्रालय के मंत्री उमा भारती ने क्या कहा था ???
लोकसभा चुनाव 2014 में देश में मोदी सरकार बनने के बाद गंगा सफाई की जिम्मेदारी उमा भारती को दी गई थी कुछ समय बाद गंगा बैराज में उनके शहर आगमन पर कार्यक्रम रखा गया था उस कार्यक्रम के बाद मीडिया ने जब सवाल किया तो मंत्री महोदया जी ने कागजी उपाय बताकर मीडिया को आश्वस्त किया था ।
क्या कहते हैं जिम्मेदार ???
जब इस संबंध में नगर निगम मुख्य अधिशासी अभियंता पर्यावरण अभियंता से बात की तो उन्होंने एक दूसरे पर कन्नी काटते हुए ठेकेदार का नंबर दिया लेकिन ठेकेदार ने भी अपने जवाब को तोड़-मरोड़ को देते हुए यह बताया कि हम अपना काम जिम्मेदारी से करते हैं लेकिन उसकी हकीकत जमीन पर कुछ और ही है वही शहर के 14 घाटों की सफाई की जिम्मेदारी लिए सुपरवाइजर माजिद से बात की तो कर्मचारियो की कमी का रोना रोने लगे उन्होंने बताया कि 14 घाटो की सफाई महज 10 लोग कैसे कर सकते है कर्मचारियो की कमी से आला अधिकारियो को भी अवगत कराया जा चुका लेकिन अधिकारी इस ओर ध्यान नही दे रहे है ।
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