कानपुर: आज दिनांक 8.7.18 तक श्रावण मास का डेढ़ सप्ताह गुजरने के बाद अब कांंवड़िया मेला धीरे-धीरे तेजी पकड़ रहा है। इस बार कांवड़िया अपनी कांवरों पर एक तरफ तिरंगा और दूसरी तरफ भगवा ध्वज लगाकर चल रहे हैं, उनके ओठों पर होता है भारत माता की जय, हर हर बम बम । प्रदेश में भाजपा सरकार होने की वजह से कांवड़िया भयमुक्त हैं, जमकर DJ बजा रहे हैं और उनकी शिव भक्ति भजनों की धुन पर जमकर नृत्य कर रहे हैं वही शिव पार्वती जी के रूप धरे कलाकार अपनी कला का उन्मुक्त भाव से प्रदर्शन कर रहे हैं।
कांवड़ियों की कांवड से लेकर परिधान तक आधुनिकता से सराबोर है। उनके स्वागत तथा जलपान के लिए शिव जी के भक्तों ने जलपान और भंडारे के स्टॉल लगाए हैं। यह सभी द्रश्य पूरे वातावरण को शिवमय बना रहे हैं। पिछले 20 वर्षों से कांवड़ लेकर गोला गोकर्ण नाथ (छोटीकाशी) जा रहे हैं। ओम देव दीक्षित बताते हैं कि पहले की अपेक्षा अब कावड़ियों के प्रति सेवा भाव जलपान भोजन फल फ्रूट से लेकर सभी सुख सुविधाएं शिव भक्तों द्वारा उपलब्ध कराई जा रही हैं। लेकिन जो बात पुराने समय में थी वह अब नहीं है और ना ही वैसी श्रद्धा भाव आजकल प्रदर्शन ज्यादा हो रहा है भक्ति कम ।
30 वर्ष पूर्व जब वह अपनी युवा अवस्था में कांवड़ लेकर अपने मित्रों के साथ शिव के दरबार गोला गोकर्णनाथ जल चढ़ाने गए थे तो फोरलेन हाईवे जैसी सड़के नहीं थी। जगह जगह अब दिखाई दे रहे जलपान के स्टॉल भी नहीं थे। कच्चे-पक्के रास्तों से गुजरना पड़ता था। कांवड़ का स्वरूप वर्तमान जैसा नहीं होता था। हम पहले बासी के झुंड से हरा बांस काटकर उसमें आगे पीछे कांच की बोतलों में गंगाजल भरकर जाते थे। रास्ते में खाने के लिए अधिकतर लोगों के पास चना चबेना सत्तू तथा पुआ घर से लेकर चलते थे। सफर दो रात तथा दो दिनों में पूरा होता था। इस दौरान साखी गाया करते थे। गंगा जी के घाट पर भई सन्तन की भीड़, तुलसीदास चंदन घिसे तिलक करे रघुवीर बोलो भाई बम बम।
अब बिकती हैं रेडीमेड कांंवड -
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें