(विष्णु चंसौलिया की रिपोर्ट)29/05/19 उरई (जालौन)यूं तो रमजान का पूरा महीना ही मोमिनों के लिए खुदा की तरफ से अजमतों और रहमतों से भरा होता है। मगर रमजान का तीसरा अशरा जहन्नुम से निजात का होता है। हदीस शरीफ और दीगर किताबों में इसकी कई फजीलतें बयान की गई हैं। अल्लाह के रसूल ने इरशाद फरमाया शब-ए-कद्र को रमजान के आखिरी अशरे की रातों में तलाश करो। वहीं रमजान में अलविदा जुमे को लेकर उरई शहर के हाफिज शोएब अंसारी ने कहा कि पहला रमजान 7 मई को शुरू हुआ था तो 3 मई तक 28 रोजे हो रहे हैं। इस लिहाज से 31 मई को अलविदा जुमा मनाया जाएगा और ईद 5 या 6 जून को पड़ेगी हाफिज शोएब अंसारी ने कहा कि अलविदा जुमा रमजान का आखिरी जुमा होता है रमजान के आखिरी 10 दिन एतिकाफ में बैठकर अल्लाह की इबादत की जाती है मस्जिदों में लोग एतिकाफ में बैठकर मुल्क के लिए अमन चैन की दुआएं करते हैं हाफिज शोएब अंसारी ने बताया कि अल्लाह के नबी ने फरमाया कि जिसने रमजान में 10 दिनों का एतकाफ कर लिया उसे दो हज और दो उमरों के साथ एक हजार साल की इबादत का सवाब हासिल होता है।
बुधवार, 29 मई 2019
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