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मंगलवार, 7 मई 2019

खुद अपने बनाए नियमों को मानता है जिला सूचना विभाग कानपुर।#Public Statement


(पब्लिक स्टेटमेंट न्यूज से अभिषेक जायसवाल की रिपोर्ट)07 मई 2019 कानपुर: जिला सूचना विभाग यूं तो हमेशा ही विवादों के घेरे में रहता है, पर जब भी मौका किसी खास कवरेज के लिये पास बनाने का होता है तो यहां के कर्मचारियों के मिज़ाज सातवें आसमान पर चढ़ जाते हैं। ताजा मामला लोकसभा चुनाव 2019 की मतगणना का है। मतगणना की कवरेज के लिये पास बनाने में जिला सूचना विभाग के कर्मचारी इन दिनों ऐसे तेवर दिखा रहे हैं जैसे पास न मांग कर पत्रकारों ने उनकी किडनी मांग ली हो।

सूत्रों की माने तो मतदान के पास बनाने के दौरान भी सूचना विभाग में काफी हंगामा हुआ था, एक महिला पत्रकार का पास बनाने में यहां के कर्मचारी ने इतने कानून बताये थे मानो पत्रकार ने उससे पास नहीं उसकी सम्‍पत्ति के पेपर मांग लिये हों। सूत्र बताते हैं कि सूचना विभाग में सुविधायें उसी पत्रकार को मिलती हैं जो यहां के कर्मचारियों की गुड़बुक में रहता है। यदि किसी पत्रकार ने भूले से भी जिला सूचना विभाग के खिलाफ कोई समाचार लिखा तो उसको इस जन्‍म में तो यहां से कवरेज पास या विज्ञापन कतई नहीं मिलेगा चाहे वो कितनी भी एड़ि‍यां रगड़ ले। 

सूचना विभाग में इन दिनों 23 मई को होने जा रही लोकसभा चुनाव 2019 की मतगणना के पास बनाये जा रहे हैं। पास बनाने के लिये एकमात्र क्‍वालीफिकेशन है कि आप सूचना विभाग के कर्मचारी के घनिष्‍ट हों या पास की सुविधा प्राप्‍त करने के लिये आपकी जेब में शुल्‍क हो। आपका पंजीकृत अखबार/चैनल का संवाददाता होना कतई जरूरी नहीं है। नियमानुसार कोई भी काम सूचना विभाग में न तो आज तक हुआ है और न ही होने की उम्‍मीद है। सूत्र तो ये भी बताते हैं कि चाहे नये टाइटल की फाइल हो या विज्ञापन मान्‍यता की फाइल, यहां काम करवाना है तो आप नाकों चने चबाने के लिये तैयार रहें। हां यदि आप सुविधा शुल्‍क देने को तैयार हों तो आपको यहां दामाद के समान सम्‍मान मिलेगा और काम भी फटाफट हो जायेगा। 

बताते चलें कि विगत वर्ष प्रधानमंत्री की सभा में पत्रकारों को जो पास सूचना विभाग ने जारी किये थे उनमें न तो मोहर लगी थी और न ही क्रम संख्‍या पड़ी थी। इसे प्रधानमंत्री की सुरक्षा में गम्‍भीर चूक नहीं कहेंगे तो और क्‍या कहेंगे ?? यही नहीं अखिलेश यादव की सरकार में सरकार की उपलब्धियां बताने के लिये छपे पत्रक हजारों की तादाद में यहां जमीन पर पड़े सड़ गये और बाद में कूड़े में फेंके गये। इन घटनाओं से यहां की कार्यप्रणाली और कर्मचारियों की कार्यकुशलता स्‍पष्‍ट रूप से परिलक्षित होती है। 

हमें ज्ञात है कि यह खबर प्रसारित करके हम अपने पैरों पर खुद कुल्‍हाड़ी मार रहे हैं और सूचना विभाग अब हमें किसी भी सरकारी सुविधा का लाभ लेने नहीं देगा पर हम ऐसी किसी सुविधा की लालच में सच लिखने से मुंह नहीं फेर सकते हैं। चाहे कोई सुविधा मिले या नहीं हम सच लिखते रहे हैं और आगे भी बेखौफ लिखते रहेंगे।

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