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शुक्रवार, 13 सितंबर 2019

20 साल बाद बना पित्तर अमावस्या पर शनेच्क्षरी अमावस्या का संयोग#Public Statement


(पब्लिक स्टेटमेंट न्यूज से आकाश सविता की रिपोर्ट)13/09/19 पितरों की शांति और उनका आशीर्वाद प्राप्त करने के सोलह दिन यानी पितृ पक्ष भाद्रपद माह की पूर्णिमा तिथि 13 सितंबर 2019 से प्रारंभ हो रहे हैं। पूर्णिमा का पहला श्राद्ध और फिर आश्विन माह के कृष्ण पक्ष के पंद्रह दिन मिलकर कुल 16 दिनों का श्राद्ध पक्ष होता है। पंचांगों के अनुसार शतभिषा नक्षत्र में शुरू हो रहे पितृ आराधना के पर्व में पितरों के निमित्त श्राद्ध करने से सौ प्रकार के तापों से मुक्ति मिलेगी। खास बात यह है कि श्राद्ध पक्ष का समापन 28 सितंबर को शनैश्चरी अमावस्या के संयोग में होगा। सर्वपितृ अमावस्या पर शनिवार का संयोग 20 साल बाद बन रहा है।


सर्वपितृ अमावस्या

आश्विन माह के कृष्ण पक्ष के पंद्रह दिन पितरों के माने गए हैं। इसे श्राद्ध पक्ष कहा जाता है। जिन परिजनों की मृत्यु पूर्णिमा के दिन होती है उनके लिए भाद्रपद माह की पूर्णिमा के दिन श्राद्ध किया जाता है। इस प्रकार श्राद्ध पक्ष सोलह दिनों का हो जाता है। इस बार पूर्णिमा पर 13 सितंबर शुक्रवार को शतभिषा नक्षत्र, धृति योग, वणिज करण एवं कुंभ राशि के चंद्रमा की साक्षी में श्राद्ध पक्ष का आरंभ हो रहा है। शास्त्रीय गणना से देखें तो पूर्णिमा तिथि के स्वामी चंद्रमा हैं। शतभिषा नक्षत्र के स्वामी वरुण देव तथा धृति योग के स्वामी जल देवता हैं। पितृ जल से तृप्त होकर सुख- समृद्धि तथा वंश वृद्धि का आशीर्वाद देते हैं। इसलिए श्राद्ध पक्ष की शुरुआत में पंचांग के पांच अंगों की इस स्थिति को अतिविशिष्ट माना जा रहा है।

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