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बुधवार, 8 अप्रैल 2020

लॉक डाउन के कारण समुद्री जीवन मे फंसे 40 हजार लोग

 वैश्विक व्यापार का एक बहुत बड़ा हिस्सा समंदर के रास्ते होता है और इसका अंदाजा तो आप लोग लगा ही सकते है कि समुद्री जहाज़ों पर काम करने वाले लोग कितनी मेहनत करते हैं, इसका अंदाज़ा ज़मीन पर रहने वाले लोग कम ही लगा पाते हैं. सूत्रों की जानकारी के अनुसार मर्चेंट नेवी के हजारों कर्मचारी इस समय अपने जहाजों पर हैं और वो कोरोना वायरस संक्रमण की वजह से दुनिया भर में जारी लॉकडाउन से जूझ रहे हैं. ये लोग इतने बड़े खतरे का सामना करते हुए भी दुनिया की ज़रूरतें पूरी करने में जुटे हैं. एक आंकलन के अनुसार तकरीबन 40 हज़ार लोग इस समय दुनिया भर में फैले उन समुद्री जहाज़ों पर फंसे हुए हैं जो भारत के सागर तटों तक पहुंचने का इंतज़ार कर रहे हैं. 

वैसे तो शिपिंग इंडस्ट्री और उसमें काम करने वाले लोगों के संगठनों को भारत सरकार ने इनकी हर संभव मदद का भरोसा दिलाया है, पर जमीनी सच्‍चाई इसके काफी विपरीत है. सूत्रों के अनुसार M.V. APJ ANGAD 2 नामक एक जहाज जो कि APEEJAY Shipping नामक एक भारतीय कम्‍पनी का है और आगामी 12 अप्रैल 2020 को Krishnapatnam पोर्ट आंध्र प्रदेश पर पहुंचेगा। उक्‍त जहाज से कुछ भारतीय कर्मचारियों को यहां साइन ऑफ करना है, परन्‍तु स्‍थानीय एजेन्‍सी के प्रतिनिधि वेणुगोपाल का कहना है कि पोर्ट के हेल्‍थ अफसर Venkata Ramanayya (फोन नम्‍बर - 09440930229) यहां पर नाविकों को उतरने की परमीशन नहीं दे रहे हैं। इससे उक्‍त शिप के नाविकों में भय का माहौल है और नाविकाें के परिजन भी बेहद डरे हुये हैं। शिप के कई कर्मचारियों का कॉन्‍ट्रैक्‍ट भी खत्‍म हो गया है और अब घर जाने का भी कोई भरोसा नहीं है। ये तो केवल एक जहाज का हाल है सूत्रों की माने तो लगभग 40 हज़ार भारतीय नाविक अपना अनुबंध ख़त्म होने के बाद घर वापसी का इंतज़ार कर रहे हैं. सरकार ने इनको कथित भरोसा दिलाया है कि लॉकडाउन हटने के बाद वे सुरक्षित घर वापस लौट सकेंगे. हालांकि भारत वापस लौटने पर इन नाविकों को कोरोना टेस्ट कराना होगा और क्वारंटाइन की प्रक्रिया से गुज़रना होगा.

लॉकडाउन की वजह से इन Seafarers पर गहरा असर पड़ा है. लोग यहां फंस चुके हैं. घर नहीं जा सकते हैं क्योंकि सारे एयरपोर्ट्स बंद हैं. नौ-दस महीने घर से दूर रहकर ये लोग यहां दिन-रात काम करते हैं. इस लॉकडाउन की वजह से जिनका समय पूरा हो चुका है, वे भी घर नहीं जा पा रहे हैं. कुछ शिपिंग कंपनियां इनकी ज़िम्मेदारी तो उठा रही हैं लेकिन तस्वीर का दूसरा पहलू ये भी है कि कॉन्ट्रैक्ट ख़त्म होने के बाद की अवधि के लिए इन नाविकों को सैलरी नहीं मिल रही है. हालांकि कुछ कंपनियों ने अनुबंध की अवधि बढ़ाई भी है. इन नाविकाें के घरवालों का बुरा हाल है, तमाम नाविकाें के घर पर अकेली महिलायें हैं जो घर के साथ साथ बच्‍चों की भी जिम्‍मेदारी उठा रही हैं और इस भययुक्‍त माहौल में ये नयी टेन्‍शन भी सर पर आ गयी है। अब देखना ये है कि माेदी सरकार इस प्रकरण में क्‍या कार्यवाही करती है।

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