कानपुर:- राष्ट्रीय शर्करा संस्थान (एनएसआई) में भारत सरकार के खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग के सचिव रविकांत ने मंगलवार को 8.95 करोड़ रुपये के बजट से प्रशिक्षण केंद्र और छात्रावास सह अतिथि गृह की आधारशिला रखी।
इसमें 3.25 करोड़ रुपये से प्रशिक्षण केंद्र का निर्माण होगा। इसमें 200 लोगों के बैठने की क्षमता होगी। 5.70 करोड़ से छात्रावास सह अतिथि गृह बनेगा। छात्रावास का निर्माण सत्र 2017-18 से शुरू हो रहे नए कोर्स गुणवत्ता प्रबंधन व पर्यावरण विज्ञान में स्नातकोत्तर डिप्लोमा को ध्यान में रख किया जाएगा।
सचिव रविकांत, संयुक्त सचिव (शर्करा एवं प्रशासन) सुभाशिष पांडा के साथ पहुंचे। उन्होंने निदेशक प्रो. नरेंद्र मोहन के साथ पहले इन दो बड़ी योजनाओं की आधारशिला रखी। इसके बाद संस्थान का निरीक्षण किया। सबसे पहले वे विश्लेषणात्मक प्रयोगशाला पहुंचे, जिसे हाल में ही एनबीएल मान्यता मिली है। यह प्रयोगशाला उच्चतर विश्लेषण करके राजस्व भी कमा सकेगी। इसके बाद उन्होंने स्मार्ट कक्षा, प्रेक्षागृह का नवीनीकरण, प्रयोगशाला, स्टेट बैंक की सहायत से निर्मित एटीएम का भी निरीक्षण किया। इस दौरान जितेंद्र सिंह, संतोष कुमार आदि मौजूद रहे।
लाभ के लिए चीनी मिलें करें अन्य प्रयोग
सचिव रविकांत ने संस्थान में व्यावहारिक प्रशिक्षण देने के लिए नवनिर्मित नैनो एथनॉल इकाई व शराब भट्टी का भी दौरा किया। इसके बाद विभिन्न अनुसंधानों जैसे 'बगास से जैव डिटर्जेंट का उत्पादन', 'बगास से खाद्य मशरूम', 'शर्करा उद्योग के प्रेस मड व अन्य वेस्ट से बायो सीएनजी का उत्पादन', 'विद्युत स्कंदन तकनीक द्वारा अवशिष्ट जल का प्रबंधन' आदि की भी समीक्षा की। उन्होंने कहा कि चीनी मिलों को लाभ लेने के लिए ऐसे प्रयोग करना चाहिए।
जल्द भरें जाएंगे रिक्तपद
प्रो. नरेंद्र मोहन ने सचिव को संस्थान में रिक्त पदों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि संस्थान में करीब 307 पद स्वीकृत हैं। जबकि वर्तमान में सिर्फ 142 पद ही भरे हैं। बाकी सभी पद रिक्त पड़े हैं। इसका खामियाजा कहीं न कहीं छात्रों को उठाना पड़ता है। सचिव रविकांत ने इस संबंध में प्राथमिकता के आधार पर कार्रवाई करने का आश्वासन दिया।
शुरू होगा आसवनी तकनीक पाठ्यक्रम
संस्थान के निदेशक प्रो. नरेंद्र मोहन ने बताया कि जल्द एक और नया कोर्स आसवनी तकनीक की भी शुरुआत की जाएगी। उन्होंने कहा कि प्रशिक्षण केंद्र बनने से संस्थान में सेमिनार, संगोष्ठियां, कार्यशालाओं का आयोजन किया जा सकेगा। अभी तक राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय आयोजन करने में परेशानी होती है।
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