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रविवार, 26 मई 2019

सूरत अग्निकांड मे मौत के मुंह से बची लड़की ने बताया फायर बिग्रेड का हाल।#Public Statement


(पब्लिक स्टेटमेंट से आकाश सविता की रिपोर्ट)26/05/19 गुजरात के सूरत में सरथाणा इलाका है. वहां तीन मंजिला एक बिल्डिंग है. नाम *तक्षशिला कांप्लेक्स* सबसे ऊपर के फ्लोर पर कोचिंग क्लास है. नाम है *अलोहा क्लासेज* आर्किटेक्ट और डिज़ाइनिंग के स्टूडेंट यहां आते थे. नाटा, यानी नेशनल एप्टीट्यूड टेस्ट इन आर्किटेक्चर की तैयारी करने. ये एक प्रवेश परीक्षा होती है. तो उसी की तैयारी के लिए अलोहा क्लासेज में बच्चे आते थे. गर्मी में इनकी संख्या ज्यादा हो जाती थी. क्योंकि छुट्टियां चल रही होती हैं, तो समर क्लास में बहुत सारे बच्चे एडमिशन लेते हैं. इनमें से ज्यादातर लड़कियां होती हैं.

24 मई के दिन भी, इस कोचिंग क्लास में बच्चे आए थे. करीब 40 बच्चे. बिल्डिंग के पास ही गुजरात इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड ट्रांसफार्मर था. जिसमें अचानक से स्पार्क हुआ. और आग लग गई. थोड़ी ही देर में आग तक्षशिला बिल्डिंग के तीसरे माले तक पहुंच गई. जहां अलोहा कोचिंग क्लास थी. अब जो कोचिंग क्लास थी, वो छत पर ही टीन का शेड डालकर चलाई जा रही थी. उसी शेड ने आग को पकड़ लिया. अचानक से भभक-भभक कर वो टीन का शेड जलने लगा. बच्चे अंदर ही थे. खुद को बचाने के लिए कुछ बच्चे नीचे भागे, तो कुछ खिड़कियों के जरिए नीचे कूद गए. अफरा-तफरी मच गई. जलने और कूदने से 20 बच्चों की मौत हो गई.


रिपोर्ट्स के मुताबिक केतन ने दो लड़कियों की जान बचाई. जिनमें से एक उर्मी है. आग की वजह से उर्मी का कान और हाथ थोड़ा जल गया है. लेकिन वो इस वक्त सुरक्षित हैं और इस पूरे हादसे से उबर नहीं पाई है.



*उर्मी ने बताया फायर ब्रिगेड का असली हाल*

 'नीचे आग लगी थी, वहां से धूआं ऊपर आ रहा था. धूआं बढ़ गया, और फिर हमारे कोचिंग में भी आग लग गई. कुछ लोग खुद को बचाने के लिए कूद गए. कुछ जल गए.'

सूरत में इस वक्त हर कोई दमकल विभाग पर गुस्सा कर रहा है. रिपोर्ट्स के मुताबिक फायर ब्रिगेड का कार्यालय तक्षशिला बिल्डिंग से महज 3 किलोमीटर दूर था, लेकिन उन्हें घटनास्थल पहुंचने में 45 मिनट लग गए.

फायर ब्रिगेड के बारे में जब उर्मी से सवाल किया गया, तब उन्होंने बताया,  'फायर ब्रिगेड वाले पहुंच तो गए थे, लेकिन उनके पास कुछ था ही नहीं कि हमें बचाया जा सके. कुछ कपड़ा, सीढ़ी कुछ भी नहीं था. उनके पास सीढ़ियां नहीं थीं. जो थीं वो केवल एक फ्लोर पर आकर खत्म हो जा रही थीं.'

उर्मी के बताया, 'फायर ब्रिगेड अयी था, लेकिन उनके पास कोई सुविधा नहीं थी. नेट नहीं थी, सीढ़ी नहीं थी, रस्सी नहीं थी. तो वो सब बच्चे जो अभी अस्पताल में हैं, या जिनकी मौत हो गई है, वो बच जाते अगर फायर ब्रिगेड के पास सुविधा होती.

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