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सोमवार, 23 सितंबर 2019

कालाबाजारी की भेंट चढ रहा है गरीबों के हिस्से का कैरोसिन ऑयल#Public Statement


(विष्णु चंसौलिया की रिपोर्ट) 23/09/19 बचाव में उतरा आपूर्ति विभाग, एसडीएम ने कहा कि दोबारा जांच कराई जाएगी

उरई (जालौन)एक तरफ सरकार गरीबों की बेहतरी के लिए तमाम लाभकारी योजनाएं संचालित कर उन्हें लाभ पहुंचाने की कोशिशों में जुटी है लेकिन दूसरी तरफ सड़ गल चुका सिस्टम सरकार की मंशा में पलीता लगाने में कोई कोर कसर बाकी नहीं छोड़ रहा है। ऐसा ही एक मामला तहसील क्षेत्र के ग्राम दिरावटी में आने के बाद अधिकारियों में हड़कंप मचा है और संबंधित विभाग बचाव में उतरा है। गरीबों के हिस्से का मिट्टी का तेल कोटेदार की दुकान से कालाबाजारी में बेचे जाने का वीडियो वायरल हुआ है लेकिन आपूर्ति विभाग कोटेदार का बचाव कर रहा है और जा रहीं केनों को वह मैंथा ऑयल की केनें बता कर लीपापोती करने में लगा है।


गौरतलब है कि तहसील के कोंच ब्लॉक के ग्राम दिरावटी से दो दिन पूर्व एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था जिसमें कोटेदार रामराजा की कोटे की दुकान से मिट्टी के तेल की केनें भर भर कर एक जीप में लोड की जा रहीं हैं। गांव के ही किसी व्यक्ति ने उस समय का वीडियो बनाया और किसी अरविंद झा के फेसबुक पर अपलोड कर दिया। बताया गया है कि अरविंद झा दिरावटी गांव का ही रहने वाला है। वीडियो बनाने के पीछे तर्क यह बताया गया है कि कोटेदार राशन कार्ड धारकों को मिट्टी का तेल नहीं दे रहा था बल्कि कालाबाजारी में बेचता था। 

अधिकारियों के संज्ञान में यह बात आने के बाद हड़कंप की स्थिति है। इधर, वीडियो वायरल होने के बाद कोटेदार सक्रिय हो गया और आपूर्ति विभाग की गणेश परिक्रमा करने में लगा है। आपूर्ति विभाग ने इस संबंध में जो बयान दिया है उसमें ऐसा लगता है जैसे कोटेदार ने विभाग को पटा लिया है और एआरओ उसी की भाषा बोलने लगे हैं। एआरओ हालांकि मामले की लीपापोती करने में जुटे हैं और केनें मैंथा ऑयल की बता रहे हैं लेकिन एसडीएम अशोक कुमार ने साफ कहा है कि मामले की दोबारा निष्पक्ष जांच कराई जाएगी और अगर कोटेदार द्वारा मिट्टी के तेल की कालाबाजारी की गई होगी तो उसके खिलाफ कड़ी कार्यवाही की जाएगी।

मिट्टी का तेल नहीं, मैंथा ऑयल था-एआरओ

 ग्राम दिरावटी में मिट्टी के तेल की हो रही कालाबाजारी को लेकर जो वीडियो वायरल हुआ है उसे आपूर्ति विभाग सिरे से नकार रहा है। एआरओ याकूब हसन का कहना है कि उन केनों में मिट्टी का तेल नहीं बल्कि मैंथा ऑयल था। अब यह बात दीगर है कि कोटे की दुकान में मैंथा ऑयल कैसे पहुंचा और लोग आपूर्ति विभाग के इस तर्क को कितना हजम कर पाते हैं, यह देखना बाकई दिलचस्प होगा।

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